VIRUS तुम जाओ



माना तूने जान ले लिया 
जन जन का अरमान ले लिया 
पर तूने  है  सिखलाया  भी  
नए ढंग से हमको जीना ।  

निर्जन सा आभास लगे अब  
भरा – भरा सा अपना घर  
बाहर कितना सन्नाटा  है  
आग लगी मेरे भीतर ।  

क्योंकर बैठा ठगा हुआ सा 
निर्जिवो सा बंद पड़ा हूँ  
दो धारी तलवार कभी था  
60 दिनों से कुंद पड़ा हूँ । 

शिक्षा है या सजा बढ़ी है 
COVID तू हीं बतला दो 
सीख चुके हो गर हम सब तो  
VIRUS होना तू झुठला दो । 

दो दुनिया को नई जिंदगी  
प्रकृति को ना बर्बाद करेंगे  
नैतिक मूल्यों संग हम जीकर  
दुनिया को आबाद करेंगे  । 
                                                       -सत्या  

  

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