घरवाली


Searching love


अग्नि बोलो, ज्वाला बोलो
 या झंझट की माला बोलो,
 आई है जब से जीवन में
 निकला मेरा दिवाला बोलो |

 दिन की तप्त दुपहरी में भी
 दिखे मुझे सब काला बोलो,
 इस भोली सी सूरत का तो
 मैं बन गया निवाला बोलो |

 अब तो मेरा नाम भी नहीं
 घरवाली का वाला बोलो,
 अपने छुट्टी गाय  सी घूमे
 मेरे लिए है ताला बोलो |

 हे ईश्वर अब आंखें खोलो
 दुखियारे का भी सुध ले लो,
 क्षमादान हमको भी दे दो
 पिंजरे से इस घर को खोलो |

 मुझको भी तुम पंख लगा दो
 फूंक मारकर मुझे उड़ा दो,
 इसी जीवन से पेट भर गया
 अब आगे ना और सजा दो |

 अग्नि बोलो, ज्वाला बोलो
 या झंझट की माला बोलो |

                                                                                                 -By Satya

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