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Searching love |
अग्नि बोलो, ज्वाला बोलो
या झंझट की माला बोलो,
आई है जब से जीवन में
निकला मेरा दिवाला बोलो |
दिन की तप्त दुपहरी में भी
दिखे मुझे सब काला बोलो,
इस भोली सी सूरत का तो
मैं बन गया निवाला बोलो |
अब तो मेरा नाम भी नहीं
घरवाली का वाला बोलो,
अपने छुट्टी गाय सी घूमे
मेरे लिए है ताला बोलो |
हे ईश्वर अब आंखें खोलो
दुखियारे का भी सुध ले लो,
क्षमादान हमको भी दे दो
पिंजरे से इस घर को खोलो |
मुझको भी तुम पंख लगा दो
फूंक मारकर मुझे उड़ा दो,
इसी जीवन से पेट भर गया
अब आगे ना और सजा दो |
अग्नि बोलो, ज्वाला बोलो
या झंझट की माला बोलो |
-By Satya
Superb sir....
ReplyDeleteMast hai..
ReplyDeletebahut sahi, sir ji..
ReplyDeleteवाह अग्नि की ज्वाला बोलो
ReplyDeleteReal kavita
ReplyDeleteHidden talent . Interesting .
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