खोखला बॉलीवुड


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चकाचौंध बॉलीवुड में 
क्या जगमग और उजाला है 
अंदर झांक के देखो शायद 
घुप्प अँधेरा कला है। 

ये ऐसा दीमक समाज है 
संस्कृति खाने वाला है 
बाहर से जो घुसना चाहे 
इनका एक निवाला है। 

कभी विधा साहित्य समझकर 
इनको देश ने पाला था  
अब ये रुपयों की इंडस्ट्री 
इसके मन में काला था। 

रुपयों की जब हवस नहीं थी 
तब ये विधा निराला था 
स्वस्थ सभी का मनोरंजन कर 
ये देश बदलने वाला था। 

पर रुपयों की चमक ने इसको 
अंदर से कंगाल किया 
संस्कार मानवता खोकर 
धन से मालामाल किया। 

बढ़ते क्रूर औ नशाखोर जन 
इसका अविष्कार है 
संस्कृति पर करते कुठार ये 
शर्म करो धिक्कार है। 
                         -By Satya

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