माँ के जैसा प्यार ,
वही प्रकृति से भी हम खाते है
मौसम का मार |
कोयल की कूक से
खुलती है आँखे ,
वहीं हमेशा के लिए बंद हो जाती ,
है शेर के वार से |
पेड़ो के पत्तो से
मिलती है घनी छाव,
वहीं कटीले पौधों से
मिलता है गहरा घाव |
प्रकृति के गोद में
अपनों के साथ सजाते
है हम सपने,
वही एक ज्वालामुखी के फटने से
दूर हो जाते है सारे अपने |
बारिश के पानी से
बुझती है हमारी प्यास
वही सूखा पड़ने पर
भगवन से लगा बैठते है हम आस |
ये सारी चीजे है
प्रकृति का एक जाल
कभी देता है जीवन
कभी सब ख़त्म कर देता है हमारा काल |
-by Vedika
Nice
ReplyDeleteNice ..
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